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Sunderkand PDF Hindi Details
PDF Name | Sunderkand PDF Hindi | सुंदरकांड पाठ हिंदी में PDF |
No. of Pages | 158 |
PDF Size | 1.87 MB |
Language | हिंदी / Hindi |
Category | Religion & Spirituality |
Source | pdftag.com |
Download Link | Available ✔ |
Downloads | 1000 |
Sunderkand PDF Hindi | सुंदरकांड पाठ हिंदी में PDF

सुंदरकांड पाठ हिंदी में PDF | Sunderkand PDF Hindi डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए डाउनलोड बटन से।इस लेख में हम आपको दे रहे हैं सुंदरकांड पाठ हिंदी में PDF (Sunderkand Paath) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक।
सुन्दरकाण्ड पाठ के नियम
- यदि आप अकेले सुन्दरकाण्ड का पाठ करना चाहते हैं तो प्रात:कालीन समय, ब्रह्म मुहूर्त में 4 से 6 बजे के बीच किया जाना चाहिए।
- यदि आप समूह के साथ सुन्दरकाण्ड का पाठ कर रहे हैं तो शाम को 7 बजे के बाद किया जा सकता है।
- सुन्दरकाण्ड का पाठ मंगलवार, शनिवार, पूर्णिमा और अमावस्या को करना श्रेष्ठ रहता है।
- सुन्दरकाण्ड का पाठ करते समय इसकी पुस्तक को अपने सामने किसी चौकी या पटिए पर स्वच्छ कपड़ा बिछाकर रखना चाहिए।
- इसकी पुस्तक को कभी भी जमीन पर या पैरों के पास नहीं रखना चाहिए।
- सुन्दरकाण्ड का पाठ अपने घर के स्वच्छ कमरे में या मंदिर में किया जा सकता है।
- पाठ प्रारंभ से पूर्व हनुमान जी का आह्वान एवं समापन पर विदाई अवश्य करें चाहिए।
क्या हम रोज सुंदरकांड पढ़ सकते हैं?
पाठ को करते समय प्रतिमा स्थापित करने के बाद शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं. बजरंगबली हनुमान जी के चरणों में 7 पीपल के पत्ते अर्पित करें. इसके साथ ही उन्हें लड्डू का भोग लगाएं. उसके बाद ही सुंदरकांड का पाठ शुरू करें.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ मंगलवार व शनिवार को करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप रोजाना भी इसका पाठ कर सकते हैं। यदि आप सुंदरकांड का पाठ कर रहे हैं, तो इसके लिए तड़के 4:00 से 6:00 बजे यानी ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है।
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:- सुन्दरकाण्ड पाठ (Sunderkand Path) करने के फायदे
सुन्दरकाण्ड पाठ रामायण का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें भगवान हनुमान की वीरता, बुद्धि और भक्ति के अनूठे परिचय होते हैं। इस अध्याय में हनुमानजी लंका जा कर सीता माता की खोज करते हैं और उन्हें सुरक्षित ढूंढ लेते हैं। सुन्दरकाण्ड पाठ का पाठन धर्मिक और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाने वाला माना जाता है।
सुन्दरकाण्ड पाठ करने से व्यक्ति के मन को शांति मिलती है और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस पाठ के अभिप्राय को समझने से व्यक्ति को अपनी दिव्य शक्तियों का बोध होता है, और यह विश्वास मिलता है कि भगवान की कृपा से किसी भी कठिनाई का सामना करना संभव है।
सुंदरकांड पाठ के पाठन से आस्था, साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है। इस अध्याय के पाठन का लाभ व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाता है। इसके साथ ही सुन्दरकाण्ड का पाठ करने से व्यक्ति के मन को भगवान राम की भक्ति में लीनता मिलती है, और वह अपनी ज़िंदगी की हर कठिनाई को सामने कर सकता है।
यह पाठ करने से व्यक्ति को धैर्य, सचेतना और निर्णय क्षमता भी प्राप्त होती है। सुन्दरकाण्ड पाठ के विभिन्न चरणों में हनुमानजी की लंका यात्रा का वर्णन होता है। इस पाठ में वे समुद्र तरते हैं, लंका में रावण के दरबार में जाते हैं, और विभीषण से मिलकर उन्हें राम की शरण में लाते हैं। सुन्दरकाण्ड में इन घटनाक्रमों के माध्यम से हमें सच्चे भक्त की विशेषताओं का बोध होता है।
सुन्दरकाण्ड पाठ करने से घर के वातावरण में शुद्धि, सकारात्मक ऊर्जा और शांति बनी रहती है। इस पाठ को नियमित रूप से करने से व्यक्ति को आत्मिक विकास, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, एवं समाजिक समृद्धि का लाभ होता है। भगवान हनुमान की कृपा से व्यक्ति की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं और वह जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
अतः, सुंदरकांड पाठ हमें आत्मविश्वास, वीरता, धैर्य, बुद्धि और भक्ति के महत्व को समझाता है।. सुंदरकांड पाठ हिंदी में PDF | Sunderkand PDF Hindi
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सुंदरकांड का सार क्या है?
सुन्दरकाण्ड रामचरित मानस के सात कांडों में से एक काण्ड है. इसमें हनुमान जी द्वारा सीता की खोज और राक्षसों के संहार का वर्णन किया गया है. इसमें दोहे और चौपाइयां विशेष छंद में लिखी गयी हैं. सम्पूर्ण मानस में श्री राम के शौर्य और विजय की गाथा लिखी गयी है लेकिन सुन्दरकाण्ड में उनके भक्त हनुमान के बल और विजय का उल्लेख है.
सुंदरकांड में कितने अध्याय होते हैं?
सुंदरकांड, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस के सात अध्यायों में से पांचवा अध्याय है।
सुन्दरकाण्ड पाठ हिंदी अर्थ सहित
Sunderkand Path by Geeta Press Gorakhpur Hindi
1– जगदीश्वर की वंदना:
शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्।
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं
वन्देऽहंकरुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम् ॥1॥
भावार्थ: शान्त, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणों से परे), निष्पाप, मोक्षरूप परमशान्ति देने वाले, ब्रह्मा, शम्भु और शेषजी से निरंतर सेवित, वेदान्त के द्वारा जानने योग्य, सर्वव्यापक, देवताओं में सबसे बड़े, माया से मनुष्य रूप में दिखने वाले, समस्त पापों को हरने वाले, करुणा की खान, रघुकुल में श्रेष्ठ तथा राजाओं के शिरोमणि राम कहलाने वाले जगदीश्वर की मैं वंदना करता हूँ. सुंदरकांड पाठ हिंदी में PDF | Sunderkand Free PDF Hindi
2 – रघुनाथ जी से पूर्ण भक्ति की मांग:
नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे
कामादिदोषरहितंकुरु मानसं च ॥2॥
भावार्थ: हे रघुनाथजी! मैं सत्य कहता हूँ और फिर आप सबके अंतरात्मा ही हैं (सब जानते ही हैं) कि मेरे हृदय में दूसरी कोई इच्छा नहीं है। हे रघुकुलश्रेष्ठ! मुझे अपनी निर्भरा (पूर्ण) भक्ति दीजिए और मेरे मन को काम आदि दोषों से रहित कीजिए. सुंदरकांड पाठ हिंदी में PDF | Sunderkand Free PDF Hindi
3– हनुमान जी का वर्णन:
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तंवातजातं नमामि ॥3॥
भावार्थ: अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान् जी को मैं प्रणाम करता हूँ. सुंदरकांड पाठ हिंदी में PDF | Sunderkand Free PDF Hindi
4 – जामवंत के वचन हनुमान् जी को भाए चौपाई:
जामवंत के बचन सुहाए,
सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई,
सहि दुख कंद मूल फल खाई ॥1॥
भावार्थ: जामवंत के सुंदर वचन सुनकर हनुमान् जी के हृदय को बहुत ही भाए। (वे बोले-) हे भाई! तुम लोग दुःख सहकर, कन्द-मूल-फल खाकर तब तक मेरी राह देखना. सुंदरकांड पाठ हिंदी में PDF | Sunderkand Free PDF Hindi
5 – हनुमान जी का प्रस्थान
जब लगि आवौं सीतहि देखी,
होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी॥
यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा,
चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा ॥2॥
भावार्थ: जब तक मैं सीताजी को देखकर (लौट) न आऊँ। काम अवश्य होगा, क्योंकि मुझे बहुत ही हर्ष हो रहा है। यह कहकर और सबको मस्तक नवाकर तथा हृदय में श्री रघुनाथजी को धारण करके हनुमान् जी हर्षित होकर चले. सुंदरकांड पाठ हिंदी में PDF |Sunderkand PDF Hindi
6 – हनुमान जी का पर्वत में चढ़ना
सिंधु तीर एक भूधर सुंदर,
कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर॥
बार-बार रघुबीर सँभारी,
तरकेउ पवनतनय बल भारी ॥3॥
भावार्थ: समुद्र के तीर पर एक सुंदर पर्वत था। हनुमान् जी खेल से ही (अनायास ही) कूदकर उसके ऊपर जा चढ़े और बार-बार श्री रघुवीर का स्मरण करके अत्यंत बलवान् हनुमान् जी उस पर से बड़े वेग से उछले. सुंदरकांड पाठ हिंदी में PDF | Sunderkand PDF Hindi
7 – पर्वत का पाताल में धसना
जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता,
चलेउ सो गा पाताल तुरंता॥
जिमि अमोघ रघुपति कर बाना,
एही भाँति चलेउ हनुमाना ॥4॥
भावार्थ: जिस पर्वत पर हनुमान् जी पैर रखकर चले (जिस पर से वे उछले), वह तुरंत ही पाताल में धँस गया। जैसे श्री रघुनाथजी का अमोघ बाण चलता है, उसी तरह हनुमान् जी चले. सुंदरकांड पाठ हिंदी में PDF | Sunderkand PDF Hindi
8 – समुन्द्र का हनुमान जी को दूत समझना
जलनिधि रघुपति दूत बिचारी,
तैं मैनाक होहि श्रम हारी ॥5॥
भावार्थ: समुद्र ने उन्हें श्री रघुनाथजी का दूत समझकर मैनाक पर्वत से कहा कि हे मैनाक! तू इनकी थकावट दूर करने वाला हो (अर्थात् अपने ऊपर इन्हें विश्राम दे). सुंदरकांड पाठ हिंदी में PDF | Sunderkand PDF Hindi
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